
सम्पादक-कमलेश त्रिवेदी की खबर
बस्तर पंडुम 2025: जनजातीय कला-संस्कृति को वैश्विक पहचान देने की ऐतिहासिक पहल
जगदलपुर, 25 फरवरी 2025 – बस्तर की समृद्ध जनजातीय कला एवं संस्कृति को पुनर्जीवित कर उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए राज्य शासन द्वारा बस्तर पंडुम (बस्तर का उत्सव) का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव का उद्देश्य जनजातीय समुदाय को उनके सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक बनाना और उनकी पारंपरिक विरासत को संजोना है।
मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने मंगलवार शाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बस्तर संभाग के कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर और एसपी को इस आयोजन की व्यापक तैयारियों के निर्देश दिए। इस बैठक में प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति एवं आदिम जाति विकास विभाग श्री सोनमणि बोरा, संस्कृति विभाग के सचिव श्री अनबलगन पी., और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
बस्तर पंडुम का आयोजन: एक भव्य सांस्कृतिक यात्रा
संस्कृति विभाग के सचिव श्री अनबलगन पी. ने बताया कि बस्तर पंडुम के आयोजन से जनजातीय समाज में समरसता, एकता, विश्वास, शांति और विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस आयोजन को ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर विभाजित किया गया है।
इस महोत्सव में शामिल किए जाने वाले प्रमुख कार्यक्रम:
✔ जनजातीय नृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुतियाँ
✔ जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन
✔ जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषणों की प्रदर्शनी
✔ जनजातीय कला, गोदना (टैटू) और चित्रकला का प्रदर्शन
✔ जनजातीय व्यंजन एवं पारंपरिक पेय पदार्थों की प्रदर्शनी
✔ संभाग स्तर पर जनजातीय रीति-रिवाज एवं तीज-त्योहारों पर आधारित प्रदर्शनी
ब्लॉक स्तर के कार्यक्रम में ओपन एंट्री होगी, जिसमें से चयनित दल जिला स्तर और फिर संभाग स्तर पर अपनी प्रस्तुति देंगे। प्रत्येक स्तर को उत्सव की तरह मनाया जाएगा, जिसमें समाज प्रमुख, वरिष्ठ नागरिक और जनप्रतिनिधियों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाएगा।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की भागीदारी
बस्तर पंडुम को विशेष बनाने के लिए जिला और संभाग स्तर पर प्रसिद्ध कलाकारों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक दलों को आमंत्रित किया जाएगा, जिससे यह महोत्सव वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सके।
प्रतिभागियों के लिए विशेष सुविधाएँ और सम्मान
प्रत्येक स्तर के विजेताओं को नगद पुरस्कार, प्रमाण पत्र और फोटो फ्रेम देकर सम्मानित किया जाएगा।
सभी प्रतिभागियों को निःशुल्क भोजन, परिवहन और ठहरने की सुविधाएँ दी जाएंगी।
बस्तर: अद्वितीय जनजातीय कला और संस्कृति का धरोहर
दंडकारण्य के घने जंगलों में स्थित बस्तर अपनी अनूठी जनजातीय संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां की जनजातीय समाज अपनी विशेष बोली, खान-पान, रहन-सहन, कला, संस्कृति और तीज-त्योहारों के लिए जानी जाती है। बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
बस्तर पंडुम 2025 इस क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति को संरक्षित और समृद्ध करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।