

जगदलपुर, 18 अप्रैल 2025।
शिक्षा को जन-भागीदारी से जोड़ते हुए बस्तर जिले में एक नई और सराहनीय पहल की शुरुआत की गई है। अब स्वयंसेवी वालेंटियर्स जिले के दूरस्थ और आदिवासी अंचलों में बच्चों को स्कूल से जोड़ने और समुदाय व विद्यालय के बीच सेतु की भूमिका निभाएंगे।

इस उद्देश्य को लेकर शुक्रवार को स्थानीय श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार में जिला प्रशासन एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में वालेंटियर्स के लिए जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 450 से अधिक वालेंटियर्स ने सक्रिय सहभागिता निभाई।
बच्चों के भविष्य को सवारेंगे वालेंटियर्स
कलेक्टर श्री हरिस एस ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगी, बल्कि ड्रॉपआउट बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनः स्कूल से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने बताया कि इन वालेंटियर्स को विशेष प्रशिक्षण देकर बाल संरक्षण, स्वास्थ्य, पोषण सहित समग्र विकास के लिए भी कार्य में लगाया जाएगा।
समाज में परिवर्तन की बुनियाद
सीईओ जिला पंचायत श्री प्रतीक जैन ने वालेंटियर्स को प्रेरित करते हुए कहा कि जागरूक युवाओं की यह टीम समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी, खासकर उन इलाकों में जहाँ शिक्षा की पहुँच अब भी चुनौती बनी हुई है।
पूर्व अनुभवों से मिला हौसला
जिला शिक्षा अधिकारी श्री बीआर बघेल ने बताया कि कोविड काल में भी वालेंटियर्स ने मोहल्ला क्लास, बाल सभा और शिक्षा रैलियों के ज़रिए बच्चों की पढ़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका सकारात्मक असर आज भी दिखता है।
स्वयंसेवा बना संस्कार
यूनिसेफ के रीजनल हेड श्री रवि कुमार ने स्वयंसेवा को एक संस्कार बताते हुए वालेंटियर्स से आह्वान किया कि वे समाज सेवा के इस पुनीत कार्य में पूर्ण समर्पण से जुड़ें। वहीं, युवोदय के जिला प्रमुख श्री भोला शांडिल्य ने इसे शिक्षा सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर बताया।
कार्यशाला में दिव्यांग बच्चों को मोबाइल एप के माध्यम से पढ़ाई के लिए मोबाइल एवं किट वितरित किए गए। कार्यक्रम में सभी खंड शिक्षा अधिकारी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, संकुल समन्वयक व वालेंटियर्स बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।